पर्यावरण (Environment) : हमारे चारों ओर जो प्राकृतिक आवरण है, उसे ही पर्यावरण (Paryavaran) कहा जाता है। वायु, जल, स्थल आदि पर्यावरण के ही अंग हैं।
पर्यावरण, जिसे हम वातावरण भी कुछ हद तक कह सकते हैं, हमारे जीवन के अतिरिक्त सभी जीवित प्राणियों, पेड़-पौधों आदि का आधार है।
इसी वातावरण में हम सभी साँस लेते हैं। पर्यावरण से मनुष्य का व्यवहार प्रभावित होता है। मानव जाति की पर्यावरण से पारस्परिक क्रिया, उसकी दिनों-दिन बढ़ती हुई समतायें एवं पर्यावरण में उसकी बदलती भूमिका मानव जाति की सभ्यता के इतिहास को प्रभावित करती है। यही कारण है, कि पर्यावरण का अधिक महत्त्व है।
परन्तु प्राकृतिक पर्यावरण को नष्ट करने में मनुष्य का सबसे बड़ा हाथ है। आजकल मशीनीकरण और औद्योगीकरण से पर्यावरण दूषित हो रहा है। जंगलों (Forests) की कटाई से पर्यावरण पर सबसे अधिक दुष्प्रभाव पड़ा है।
संरक्षण (Conservation) - पर्यावरण को दूषित होने से बचाने के लिए अर्थात् पर्यावरण के संरक्षण के लिए यह महत्त्वपूर्ण है, कि प्राकृतिक साधनों (Natural Resources) का संरक्षण किया जाय।
इसके लिए मिट्टी, पानी, जंगल (Forest) आदि का संरक्षण करना आवश्यक है। इसमें जंगलों का संरक्षण सबसे आसान है।
इसके लिए यह आवश्यक है, कि जंगलों को कम-से-कम काटना चाहिए।
फिर मिट्टी का संरक्षण (Soil Conservation) सबसे महत्त्वपूर्ण है; क्योंकि मिट्टी विभिन्न प्राणियों के जीवन का आधार है, और सभी वनस्पतियाँ इसी पर फलती-फूलती हैं।