नाभिकीय विखण्डन (Nuclear Fission) : यूरेनियम-235 के परमाणु पर मन्द गति वाले न्यूट्रॉन से प्रहार किए जाने पर, यूरेनियम का परमाणु लगभग दो समान भगाों में विखण्डित हो जाता है।
इसके फलस्वरूप ऊर्जा और कुछ नये न्यूट्रॉन विमुक्त होते हैं। इस प्रक्रिया को नाभिकीय विखण्डन कहा जाता है।
इस प्रक्रिया से जो नये न्यूट्रॉन मुक्त होते हैं, वे यूरेनियम-235 के परमाणुओं से टकराते हैं और पुनः विखण्डन होता है, और अतिरिक्त ऊर्जा तथा अतिरिक्त न्यूट्रॉन मुक्त होते हैं।
इस प्रकार, प्रतिक्रिया की एक श्रृंखला (Chain Reaction) बन जाती है, जो अपरिमित ऊर्जा निर्मुक्त करती है। परमाणु बम (Nuclear Bomb) के निर्माण में इसी सिद्धान्त का उपयोग होता है।
नाभिकीय संलयन (Nuclear Fusion) : परमाणु के नाभिक में Proton और Neutron रहते हैं। इस पर धन आवेश रहता है। फलस्वरूप दो नाभिक एक-दूसरे को विकर्षित करते हैं।
परन्तु इनकी गति बहुत अधिक बढ़ाई जाने पर उनका यह विकर्षण समाप्त हो जाता है। दोनों एक-दूसरे के बहुत नजदीक आ जाते हैं और मिलकर एक हो जाते हैं। इसे नाभिकीय संलयन कहा जाता है।
इस प्रकार जब दो या दो से अधिक हल्के परमाणु नाभिक मिलकर एक हो जाते हैं, तो कुछ द्रव्यमान लुप्त हो जाता है। यह लुप्त द्रव्यमान ताप और प्रकाश में बदल जाता है तथा अपरिमित ताप के कारण और Nucleus Fuse होते हैं।
इस प्रकार एक तापीय श्रृंखला (Thermal Chain) बन जाता है। Hydrogen Bomb इसी सिद्धान्त के आधार पर बनाया जाता है। ।