धन तथा ऋण आवेश क्या है? Dhan Tatha Reen Aavesh Kya Hai?
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धन तथा ऋण आवेश क्या है? Dhan Tatha Reen Aavesh Kya Hai? Or, What is Positive And Negative Charges in Hindi?

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काँच की छड़ को रेशम से रगड़ने पर वह आवेशित (Charged) हो जाती है।

इसी प्रकार एबोनाइट की छड़ को बिल्ली की खाल से रगड़ने पर वह भी आवेशित हो जाती है।

परन्तु इन दोनों छड़ों के आवेश एक-दूसरे से भिन्न प्रकार के होते हैं।

रेशम से रगड़ी जाने पर आवेशित हुई काँच की दो छड़ें एक-दूसरे को प्रतिकर्षित करती हैं। इसी प्रकार बिल्ली की खाल से रगड़ी जाने पर आवेशित हुई एबोनाइट की दो छड़ें भी एक-दूसरे को प्रतिकर्षित करती हैं।

लेकिन एक आवेशित काँच की छड़ तथा एक आवेशित एबोनाइट की छड़ एक-दूसरे को आकर्षित करती हैं।

इससे स्पष्ट होता है, कि आवेश दो प्रकार के होते हैं -

  • एक वह जो काँच की छड़ को रेशम से रगड़ने पर काँच में उत्पन्न होता है, तथा
  • दूसरा वह जो एबोनाइट की छड़ को बिल्ली की खाल से रगड़ने पर एबोनाइट में उत्पन्न होता है।

सन् 1750 ई. में अमेरिकी वैज्ञानिक बेन्जामिन फ्रेंकलिन ने काँच की छड़ में उत्पन्न आवेश को धनावेश (Positive Charge) तथा एबोनाइट की छड़ में उत्पन्न आवेश को ऋणावेश (Negative Charge) नाम दिया।

कोई अन्य आवेशित पदार्थ यदि आवेशित काँच की छड़ से प्रतिकर्षित होता है, तो उसमें धनावेश माना जाएगा, तथा आकर्षित होने पर उसमें ऋणावेश माना जाएगा।

उपर्युक्त विभाजन से यह स्पष्ट होता है, कि आवेश दो प्रकार के होते हैं -

  1. धनावेश  तथा
  2. ऋणावेश

सजातीय आवेश (Like Charges) एक-दूसरे को प्रतिकर्षित करते हैं, तथा विजातीय आवेश (Unlike Charges) एक-दूसरे को आकर्षित करते हैं।

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