निलहे साहब चंपारण में तीनकठिया प्रणाली के अंतर्गत किसानों से जबरदस्ती नील की खेती करवाकर उनका शोषण करते थे।
राजकुमार शुक्ल के आमंत्रण पर सन् 1917 ई० में गाँधीजी चंपारण गए। अपने सहयोगियों के साथ उन्होंने किसानों की दशा का पता लगाया।
सरकार ने उन्हें गिरफ्तार कर मुकदमा चलाया, परंतु बाद में उन्हें छोड़ दिया।
गाँधीजी (Ghandhi Ji) के दबाव पर सरकार ने चंपारण एग्रेरियन ऐक्ट पारित कर किसानों को राहत दिया। तीनकठिया प्रणाली समाप्त कर दी गई। गाँधीजी का भारत में यह पहला सफल सत्याग्रह था।