द्वितीय पंचवर्षीय योजना (Second Five-Year Plan) में भारी उद्योगों के विकास पर जोर दिया गया। पहली योजना का मूलमंत्र था धीरज, लेकिन दूसरी योजना की कोशिश तेज गति से संरचनात्मक बदलाव करने की थी।
इसके लिए हरसंभव दिशा में बदलाव की बात तय की गई थी। सरकार ने देशी उद्योगों को संरक्षण देने के लिए आयात पर भारी शुल्क लगाया।
संरक्षण की इस नीति से निजी और सार्वजनिक क्षेत्र के उद्योगों को आगे बढ़ने में मदद मिली।