पंडित विष्णु नारायण भातखंडे हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत के विद्वान और भारतीय संगीत के स्तरीकरण के कार्य में अग्रगण्य लोगों में शामिल हैं।
इन्होंने इस संगीत पर प्रथम आधुनिक टीका लिखी और संगीतशास्त्र पर हिंदुस्तानी संगीत पद्धति नामक ग्रंथ चार भागों में प्रकाशित किया।
उन्होंने देशभर में विभिन्न जगहों से और संग्रहालयों में हस्तलिखित संगीत ग्रंथों की खोज की और उनके नामों का अपने ग्रंथों में प्रकाशन कराया।
भातखंडे ने राग वर्गीकरण की दिशा में काफी महत्त्वपूर्ण काम किया और थाट पद्धति विकसित की।
उन्होंने 1916 में बड़ौदा में देश भर के संगीतज्ञों की विशाल परिषद् का आयोजन किया। इसी तरह दिल्ली, बनारस तथा लखनऊ में संगीत परिषदें आयोजित हुईं।
उनकी एक पुस्तक लक्ष्यसंगीतम् 1910 में चतुरपंडित उपनाम से प्रकाशित हुई। इनकी दूसरी पुस्तक का नाम अभिनव राग मजरी था।