स्किल इण्डिया मिशन (Skill India Mission) : देश की युवा मानव शक्तियों को वैश्विक चुनौतियों से निपटने के लिए कौशल एवं योग्यता उपलब्ध कराने के लिये स्किल इण्डिया मिशन की शुरूआत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 जुलाई, 2015 को नई दिल्ली में एक समारोह में की तथा मिशन का लोगो तथा नई कौशल विकास एवं उद्यमिता नीति की घोषणा की।
इस अवसर पर कौशल विकास एवं उद्यमिता राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) राजीव प्रताप रूडी के अतिरिक्त अरुण जेटली, मनोहर पार्रिकर, सुरेश प्रभु, अनंत गीते व जे. पी. नड्डा सहित कई केंद्रीय मंत्री और कुछेक राज्यों के मुख्यमंत्री भी उपस्थित थे।
मिशन की शुरूआत देश में दक्ष एवं कुशल श्रमशक्ति की कमी को देखते हुए की गई। यह माना गया कि देश में केवल 2.3 प्रतिशत कार्य बल को ही अपने काम के संबंध में औपचारिक प्रशिक्षण प्राप्त है, जबकि ब्रिटेन में 68 प्रतिशत, जर्मनी में 75 प्रतिशत और अमेरिका में 52 प्रतिशत, जापान में 80 प्रतिशत और दक्षिण कोरिया में यह 96 प्रतिशत है।
देश की कुल जनसंख्या में 54 प्रतिशत से अधिक भाग 25 वर्ष से कम आयु के युवाओं का होने तथा 62 प्रतिशत जनसंख्या 15-59 वर्ष के कार्यशील जनसंख्या वर्ग में होने के चलते हम न केवल अपने देश के लिए, बल्कि अन्य देशों के लिये भी कुशल कारीगर उपलब्ध करा सकते हैं।
सरकार का मानना है, कि इस जनांकिकीय पहलू का लाभ 2015 तक हम उठा सकते हैं। इस थोड़ी सी अवधि में इस स्थिति का लाभ उठाने के लिए कौशल विकास पर ध्यान केंद्रित करना आवश्यक है।
इन बातों को ध्यान में रखकर ही कौशल विकास एवं उद्यमिता विभाग का प्रोन्नयम कौशल एवं उद्यमिता मंत्रालय के रूप में नवम्बर, 2014 में किया गया था।
इस मंत्रालय की पहल पर नेशनल मिशन फॉर स्किल डेवलपमेंट की शुरूआत की गई है। वर्ष 2022 तक 30 करोड़ युवाओं को प्रशिक्षित करने के लिए क्षमताओं का सृजन इसके तहत किया जायेगा।
मिशन के कार्यान्वयन के लिए प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में शीर्ष स्तर पर एक गवर्निंग काउंसल (Governing Counsil), एक स्टीयरिंग कमेटी एवं एक मिशन निदेशालय की स्थापना की जायेगी।
मिशन निदेशालय को नेशनल स्किल डेवलपमेंट एजेंसी (NSDA), नेशनल स्किल डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन (NSDC) तथा डायरेक्टोरेट जनरल ऑफ ट्रेनिंग (DGT) का समर्थन प्राप्त रहेगा।
शीर्ष स्तर पर मिशन की गवर्निंग काउंसिल के अध्यक्ष स्वयं प्रधानमंत्री होंगे।