पूर्वी पाकिस्तान (Eastern Pakistan) में शेख मुजीब के नेतृत्व में बंगलादेश नामक स्वतन्त्र राष्ट्र (Independent Country) के निर्माण के लिए संघर्ष चल रहा था।
इस स्थिति में ऊब कर तत्कालीन पाकिस्तानी राष्ट्रपति (Pakistani President) याहिया खाँ ने बंगालियों पर अत्याचार और भी अधिक तेज कर दिया।
फलतः करोड़ों बंगलादेशियों ने भारत की शरण ली। शरणार्थियों के बोझ से दबे हुये भारत ने दुनिया भर में अपनी परेशानी बतलायी।
इसी बीच 3 दिसम्बर 1971 को पाकिस्तानी वायुयानों ने भारतीय हवाई अड्डों पर बमबारी (Bombardment) करना प्रारम्भ कर दिया। इस स्थिति में कोई रास्ता शेष न रह जाने के कारण भारत ने भी जवाबी हमला कर दिया।
लगभग 12 दिनों तक चलने वाले इस युद्ध के बाद 16 दिसम्बर 1971 को ढाका (Dhaka) में लगभग 93 हजार पाकिस्तानी सैनिकों ने आत्म समर्पण कर दिया।
अब भारत ने एक-तरफा युद्ध विराम कर दिया। इस युद्ध के फलस्वरूप विश्व के मानचित्र पर बंगला देश नामक एक नये राष्ट्र का अभ्युदय हुआ।
भारत ने इस युद्ध में पाकिस्तान के 6 हजार वर्गमील भूमि पर कब्जा कर लिया। लेकिन याहिया खाँ के बाद पाकिस्तान में जुल्फिकार अली भुट्टो ने सत्ता सँभाली तब तत्कालीन भारतीय प्रधानमंत्री श्रीमति इंदिरा गाँधी तथा भुट्टो के बीच 3 जुलाई, 1972 को शिमला समझौता हुआ।