रामकृष्ण मिशन (Ramkrishna Mission) की स्थापना प्रसिद्ध बंगाली संन्यासी. शिक्षक संत रामकृष्ण परमहंस के अनुयायियों द्वारा की गई।
स्वामी रामकृष्ण परमहंस, स्वामी विवेकानन्द (Swami Vivekananda) तथा अन्य अनुयायियों ने भारत के महान अतीत का प्रदर्शन कर देशभक्ति को जाग्रत किया।
इन्होंने देश-विदेशों में बतलाया कि भारत आध्यात्मिक गुरु है, तथा हिन्दू-धर्म एक महान और वैज्ञानिक धर्म है। त्रुटियों और अन्धविश्वासों को स्थान नहीं दी।
स्वामी विवेकानन्द कहते थे -
एक बार फिर से भारतवर्ष को जगत विजय करना होगा। यह मेरे जीवन का स्वप्न है, और मेरी कामना है, कि आप सब जो मेरे मुँह से सुन रहे हैं, मेरे इस स्वप्न को अपना स्वप्न बना लें और उस समय तक विश्राम न लें जब तक यह स्वप्न पूरा न हो। देशवासियों जागो, अपनी आत्म-शक्ति से संसार को जीत लो।
इनके विचारों से देश की प्राचीन संस्कृति के प्रति श्रद्धा उत्पन्न हुई, नवयुवकों में नया उत्साह आया, आत्मविश्वास व आत्मसम्मान पैदा हुआ तथा विदेशी सत्ता के विरोध की क्षमता प्राप्त हुई।