उन्नीसवीं शताब्दी (19th Century) के भारत की सर्वाधिक उल्लेखनीय घटना राष्ट्रीय जागरण थी, जिसने कालांतर में भारतीय राष्ट्रीय काँग्रेस (Indian National Congress), मुस्लिम लीग (Muslim League) तथा अन्य राजनीतिक संस्थाओं का रूप धारण किया।
इस आंदोलन की प्रमुख ध्येय था-
समस्त भारत की एकता तथा भारतीयों को निजी शासन अधिकार।
राजनीतिक संगठन के उद्देश्य से सन् 1885 ई० में इण्डियन नेशनल काँग्रेस की स्थापना हुई, जिसका प्रथम अधिवेशन उमेशचन्द्र बनर्जी के सभापतित्व में बम्बई में हुआ।
काँग्रेस के संस्थापक ए० ओ० ह्यूम थे। उन्हें काँग्रेस का पिता कहा जाता है। सन् 1857 ई० में वे इटावा जिले के कलक्टर थे और इण्डियन सिविल सर्विस (Indian Civil Service) के सदस्य थे।
वे अच्छी तरह जान गये थे, कि भारत में ब्रिटिश शासन के विरुद्ध घोर असंतोष फैला हुआ है, और एक भयंकर विस्फोट होने वाला है।
तत्कालीन वायसराय लॉर्ड डफरिन की भी इच्छा थी, कि सभी प्रमुख भारतीय एक स्थान पर एकत्र होकर शासन-संबंधी सुधार पर विचार प्रकट करें ताकि सरकार को लोगों के हृदयगत भावों का पता रहे और 1857 ई. की भयंकर घटना की पुनरावृत्ति न हो।
लॉर्ड डफरिन के परामर्श से ही ह्यूम ने 1885 ई. की 28 दिसंबर को बम्बई में प्रमुख भारतीयों की एक सभा बुलायी थी।
इस प्रकार ब्रिटिश साम्राज्य की रक्षा के उद्देश्य से स्थापित संस्था ही आगे चलकर इस देश की सबसे बड़ी राजनीतिक संस्था बनी और इसने ही भारत से अंग्रेजों को जाने को बाध्य किया।