भारत में हिन्दू (Hindu) तथा मुसलमान (Muslim) दो सम्प्रदायों के लोग प्रमुख थे। अंग्रेज शुरू से ही फूट डालो और शासन करो (Divide And Rule) की नीति अपनाकर दोनों के बीच वैमनस्यता बढ़ाने को प्रयत्नशील रहते थे।
इसी के फलस्वरूप कुछ मुस्लिम नेताओं ने अपने सम्प्रदाय के हित के नाम पर एक अलग दल मुस्लिम लीग की स्थापना दिसम्बर 1906 ई. में सर सैयद अहमद खाँ के नेतृत्व में किया।