गाँधीजी के नेतृत्व में पूरे भारतवर्ष में असहयोग आंदोलन चल रहा था। अंग्रेजी सरकार आंदोलन के कुचलने के लिए अपना दमन-चक्र चला रही थी।
सरकारी नीतियों के विरुद्ध लोगों का आक्रोश इतना बढ़ गया कि 4 फरवरी 1922 ई. को गोरखपुर जिले के चौरी-चौरा नामक स्थान पर क्रुद्ध लोगों की एक भीड़ ने थाने में एक दारोगा सहित 21 सिपाहियों को जिन्दा जला दिया। यही घटना चौरा-चौरी कांड (Chauri Choura Incident) के नाम से जाना जाता है।