20वीं शताब्दी के आरंभ में भारत में साम्यवादी विचारधारा का प्रसार हुआ। साम्यवादियों ने किसानों-मजदूरों की स्थिति में सुधार लाने की माँग रखी।
साथ ही, इनलोगों ने क्रांतिकारी आंदोलन को समर्थन दिया तथा साम्राज्यवाद एवं पूँजीवाद का विरोध किया।
इसलिए, असहयोग आंदोलन की समाप्ति के बाद सरकार ने साम्यवादियों के विरुद्ध दमनात्मक कार्रवाई की। साम्यवादियों पर अनेक मुकदमे चलाए गए।
इसी में मेरठ षड्यंत्र केस (1929-33) भी था। इसमें 8 साम्यवादियों पर मुकदमा चलाकर उन्हें दंडित किया गया।