ब्रिटिश आर्थिक नीतियों के कारण देशी उद्योगों में लगातार गिरावट आती गई। 19वीं शताब्दी के उत्तरार्द्ध में मैनचेस्टर में बने कपड़ों का बड़े पैमाने पर आयात किया गया।
इससे हथकरघा उद्योग बंदी के कगार पर पहुँच गया। सबसे बुरी स्थिति वस्त्र उद्योग की हुई। बंगाल में अनेक बुनकरों ने काम बंदकर दूसरा व्यवसाय अपना लिया।
यही स्थिति अन्य उद्योगों की भी हुई। इस प्रकार, भारतीय कुटीर-उद्योग समाप्त हो गए। इसे ही भारत में निरुद्योगीकरण कहा जाता है।