सन् 1850 ई० के बाद ब्रिटिश सरकार ने अपने उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए मुक्त व्यापार (Free Trade) की नीति अपनाई।
भारत से आयातित निर्मित वस्तुओं पर भारी बिक्रीकर, सीमाशुल्क और परिवहन कर लगाया गया। भारत से कच्चा माल का निर्यात किया जाने लगा।
साथ ही, ब्रिटिश पूँजी से भारत में कारखानों की स्थापना की जाने लगी। अँगरेजों को विशेष औद्योगिक सुविधाएँ दी गईं। इससे देशी कुटीर-उद्योगों पर बुरा प्रभाव पड़ा।