कल-कारखानों (Factory) की स्थापना, चिमनियों से निकलनेवाले धुएँ, बेतरतीब भीड़, लोगों और सवारियों की आवाजाही, गंदगी और धूल से पर्यावरण दूषित हो गया।
अतः, पर्यावरण की सुरक्षा (Protection of Environment) के लिए समय-समय पर प्रयास किए गए।
अतः सन् 1840 के दशक में इंगलैंड के प्रमुख औद्योगिक नगरों (Industrial City) में धुआँ-नियंत्रक कानून लागू किया गया और भारत में सन् 1863 ई० में कलकत्ता में धुआँ-निरोधक कानून बनाया गया।