स्वतंत्र भारत में सरकार ने औपनिवेशिक नीति से भिन्न नीति अपनाई। यद्यपि समाचारपत्रों (Newspapers) को अधिक स्वतंत्रता दी गई तथापि उनपर कुछ अंकुश भी लगाए गए।
सन् 1951 ई० में समाचारपत्र (आपत्तिजनक विषय) अधिनियम पारित किया गया। इसके द्वारा आपत्तिजनक समाचार प्रकाशित करनेवाले प्रेस को सरकार जब्त कर सकती थी।
इसका विरोध होने पर सरकार ने एक प्रेस कमीशन नियुक्त किया जिसकी अनुशंसा पर अखिल भारतीय समाचारपत्र परिषद का गठन किया गया।
कमीशन के अन्य सुझाव भी स्वीकार कर लिए गए। आपातकाल में प्रेस की स्वतंत्रता पर पुनः आघात हुआ, परंतु सामान्यतः भारतीय प्रेस स्वतंत्र हैं।