1789 की फ्रांसीसी क्रांति (French Revolution) ने समाज और अर्थव्यवस्था की पुनर्रचना से संबद्ध अनेक नई विचारधाराओं को जन्म दिया।
इसमें समाजवादी और साम्यवादी विचारधारा भी थी। ये सामाजिक-आर्थिक बदलाव के आधार पर समाज और अर्थव्यवस्था की पुनर्संरचना करना चाहते थे।
औद्योगिक क्रांति (Industrial Revolution) के परिणामस्वरूप समाज में पूँजीपति और श्रमिक वर्ग का उदय हुआ।
दोनों वर्गों के बीच गहरी आर्थिक खाई थी। इसे पाटने के लिए कुछ चिंतकों ने ऐसी अर्थव्यवस्था के निर्माण की वकालत की, जिसमें उत्पादन के साधनों और पूँजी पर राज्य का नियंत्रण हो तथा उत्पादन व्यक्तिगत लाभ के लिए न होकर संपूर्ण समाज के लिए हो।
ऐसे लोग समाजवादी (Socialist) कहलाए। आरंभिक समाजवादी (कार्ल मार्क्स के पहले के) आदर्शवादी या स्वप्नदर्शी कहलाए।
वे वर्ग संघर्ष के स्थान पर वर्गसमन्वय की बात करते थे। ऐसे लोगों में प्रमुख थे सेंट साइमन, चार्ल्स फूरिए, लुई ब्लाँ तथा रॉबर्ट ओवेन।
फ्रेडरिक एंगेल्स, कार्ल मार्क्स और अन्य ने समाजवाद की नई व्याख्या प्रस्तुत की जो वैज्ञानिक समाजवाद अथवा साम्यवाद (Communism) के नाम से जाना गया।
18वीं से 20वीं शताब्दियों में, विशेषकर बोल्शेविक क्रांति के बाद साम्यवाद का तेजी से प्रचार-प्रसार हुआ।
समाजवादियों और साम्यवादियों में प्रमुख अंतर यह है कि, जहाँ समाजवादियों ने समाज और अर्थव्यवस्था के पुनर्गठन के लिए राज्य और समाज की भूमिका एवं वर्गसमन्वय की बात की।
वहीं साम्यवादियों ने वर्गसंघर्ष, राज्यहीन और वर्गविहीन समाज की स्थापना पर बल दिया।