समाजवादी विचारधारा को बढ़ाने में कार्ल मार्क्स (1818-83) का महत्त्वपूर्ण योगदान है। उसका जन्म जर्मनी के ट्रियर नगर में एक यहूदी परिवार में हुआ था।
उसने बॉन तथा बर्लिन विश्वविद्यालय में शिक्षा ग्रहण की। अर्थशास्त्र का उसने गहन अध्ययन किया। सन् 1843 ई० में उसने अपने बचपन की मित्र जेनी से विवाह किया।
मार्क्स, रूसो, मॉन्टेस्क्यू एवं हीगेल के विचारों से गहरे रूप से प्रभावित था। पेरिस (Paris) में फ्रेडरिक एंगेल्स के साथ भेंट होने पर वह उसके विचारों से भी प्रभावित हुआ।
एंगेल्स के साथ मिलकर मार्क्स ने सन् 1848 ई० में कम्युनिस्ट मैनिफेस्टो नामक पुस्तक प्रकाशित की। 1867 में उसने दास कैपिटल का प्रकाशन किया।
मार्क्स पूँजीवाद (Capitalism) का विरोधी था। उसने श्रमिको को अपने अधिकार के लिए लड़ने को कहा।
उसने दुनिया के श्रमिकों एक हो का नारा दिया। उसने यह भी कहा कि श्रमिकों को अपनी बेड़ियों के अलावा कुछ भी नहीं खोना है।
मार्क्स क्रांतिकारी विचारों के कारण उसे जर्मनी (Germany) से निष्कासित कर दिया गया। उसने अपना शेष जीवन लंदन में व्यतीत किया।
मार्क्स ने समाजवाद की एक नई व्याख्या प्रस्तुत की जिसे वैज्ञानिक समाजवाद अथवा साम्यवाद कहा जाता है।
मार्क्स का मानना था कि आर्थिक गतिविधियाँ ही मानवजीवन और इतिहास के स्वरूप को निर्धारित करती हैं। मानव इतिहास वर्गसंघर्ष का इतिहास है।
मार्क्स के अनुसार, इतिहास के पाँच चरण हैं, जो निम्नांकित हैं :
- आदिम युग
- दासता का युग
- सामंती युग
- पूँजीवादी युग
- समाजवादी युग
इतिहास का छठा चरण आनेवाला है, जो वर्गविहीन और वर्गसंघर्ष मुक्त साम्यवादी युग होगा। मार्क्स ने निम्नलिखित सिद्धांतों का भी प्रतिपादन किया :
- द्वंद्वात्मक भौतिकवाद
- वर्गसंघर्ष
- इतिहास की भौतिकवादी व्याख्या,
- मूल्य एवं अतिरिक्त मूल्य तथा
- राज्यहीन एवं वर्गविहीन समाज की स्थापना का सिद्धांत।