हिंदचीन (Indo-China) में फ्रांसीसियों ने निम्नलिखित उद्देश्यों की पूर्ति हेतु उपनिवेश (Colony) स्थापित किए :
1. आर्थिक (Economic) : हिंदचीन में अर्थव्यवस्था का आधार कृषि (Agriculture) और बागान (Plantation) था।
प्रचुर मात्रा में धान एवं रबर का उत्पादन होता था। इसका लाभ उठाकर फ्रांसीसी अपनी अर्थव्यवस्था सुदृढ़ करना चाहते थे।
कृषि के साथ ही हिंदचीन खनिज-पदार्थों से भी परिपूर्ण था। कोयला, टिन, जस्ता, टंग्स्टन, क्रोमियम जैसे खनिज प्रचुर मात्रा में उपलब्ध थे।
इनका उपयोग फ्रांस (France) अपने उद्योगों के विकास के लिए कर सकता था। औद्योगिकीकरण के साथ ही फ्रांस को अपने उत्पादित सामानों के लिए बड़ा बाजार भी मिल सकता था।
इससे फ्रांस के व्यापार-वाणिज्य का भी विकास होता। अतः आर्थिक कारणों से उत्प्रेरित होकर फ्रांस ने हिंदचीन में उपनिवेश की स्थापना की।
2. व्यापारिक सुरक्षा (Business Security) : फ्रांस को डच एवं अँगरेजी व्यापारिक कंपनियों की प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ रहा था। भारत और चीन में अँगरेज उन्हें पछाड़ते जा रहे थे।
हिंदचीन में अँगरेजी प्रभाव नहीं था। अतः व्यापारिक और आर्थिक दृष्टिकोण से हिंदचीन फ्रांसीसियों के लिए भारत और चीन से अधिक सुरक्षित था।
साथ ही, हिंदचीन से भारत और चीन की दूरी कम होने से फ्रांसीसी भारत और चीन में अपने हितों की सुरक्षा कर सकते थे।
3. असभ्यों को सभ्य बनाने का उद्देश्य (The Purpose of Civilizing the Uncivilized) : यूरोपीय दृष्टिकोण से हिंदचीन एक असभ्य देश था। अन्य यूरोपीय प्रजातियों समान फ्रांसीसी भी विश्व के असभ्यों को सभ्य बनाना अपना उत्तरदायित्व मानते थे।
यह कार्य फ्रांस हिंदचीन में उपनिवेश की स्थापना करके ही कर सकता था। अतः हिंदचीन के औपनिवेशीकरण की नीति अपनाई गई।