यदि परिनालिका (Solenoid) में तार (Wire) के फेरों की संख्या बढ़ा दी जाए, तो परिनालिका की लंबाई भी बढ़ सकती है।
परिनालिका के भीतर किसी बिंदु पर चुंबकीय क्षेत्र की तीव्रता (B) प्रति एकांक लंबाई में फेरों की संख्या (n) बढ़ाने पर बढ़ती है —
B ∝ n(=N/L)
अतः, अचर लंबाई रखते हुए फेरों की संख्या बढ़ाने पर इसमें उत्पन्न चुंबकत्व अधिक होगा। परंतु, जब n अचर रहेगा तब चुंबकीय क्षेत्र समान रहेगा।