पाँच-सूत्री योजना के विफल हो जाने के बाद सन् 1972 ई० में राष्ट्रपति ने पुनः आठ-सूत्री प्रस्ताव प्रस्तुत किया।
इसका भी उद्देश्य हिंदचीन (Indochina) के संघर्ष को समाप्त करना था। प्रस्ताव के महत्त्वपूर्ण बिंदु इस प्रकार थे—
1. समझौता होने के छह महीनों के अंदर दक्षिणी वियतनाम से अमेरिकी और अन्य विदेशी सैनिकों को वापस बुला लिया जाएगा।
2. सेना की वापसी के बाद बंदी नागरिकों और सैनिकों को स्वतंत्र कर दिया जाएगा।
3. छह महीनों के अंदर दक्षिण वियतनाम में राष्ट्रपति के लिए चुनाव करवाए जाएंगे। यह चुनाव अंतरराष्ट्रीय निरीक्षण में करवाया जाएगा।
4. सभी पक्ष जेनेवा समझौता की शर्तों का पालन करेंगे।
5. हिंदचीन के सभी देश अपनी समस्याओं का समाधान स्वयं कर सकेंगे।
6. हिंदचीन में युद्ध-विराम लागू होगा तथा कोई भी विदेशी सेना हिंदचीन में प्रवेश नहीं कर सकेगी।
7. समझौते के सैनिक पक्ष की देखभाल एक अंतरराष्ट्रीय संस्था करेगी।
8. हिंदचीन के नागरिकों के मौलिक अधिकारों की सुरक्षा एक अंतरराष्ट्रीय संस्था करेगी। साथ ही, यही संस्था दोनों वियतनाम, लाओस और कंबोडिया की स्थिति निर्धारित करेगी।
निक्सन का यह प्रस्ताव भी विफल हो गया। उत्तरी वियतनाम ने इस प्रस्ताव को अस्वीकृत कर दिया।
अमेरिकी हवाई हमले पुनः आरंभ हो गए। चीन और सोवियत संघ ने भी हिंदचीन में अपना प्रभाव बढ़ाना आरंभ कर दिया।
अमेरिका चीन के साथ होने लगा। इससे वियतमिन्ह और वियतकांग में संघर्ष तीव्र हो गया।