यू तो दबाव-समूह सीधे तौर पर सक्रिय राजनीति में हिस्सा नहीं लेते हैं, परंतु अपने क्रियाकलापों के माध्यम से ये राजनीतिक दलों को निरंतर प्रभावित करने का प्रयास करते हैं।
प्रायः, प्रत्येक आंदोलन का एक राजनीतिक पक्ष होता है। जिसके कारण दबाव-समूह एवं राजनीतिक दलों के बीच प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष संबंध स्थापित हो जाता है।
कभी-कभी ऐसी भी स्थिति देखी जाती है कि राजनीतिक दल ही सरकार को प्रभावित करने के उद्देश्य से दबाव-समूहों का गठन कर डालते हैं।
इस प्रकार के दबाव-समूह उस राजनीतिक दल की एक शाखा के रूप में कार्य करने लगते हैं।
कभी-कभी तो किसी उद्देश्य से गठित दबाव-समूह ही राजनीतिक दल का रूप ग्रहण कर लेते हैं, जैसे- झारखंड मुक्ति मोर्चा, असम गण परिषद आदि।