लैंगिक असमानता भारत के विकास के मार्ग में सबसे बड़ी चुनौती है।
पुरुष और नारी दोनों के पारस्परिक सहयोग पर ही विकास संभव है। परंतु, भारत में लैंगिक असमानता की समस्या गंभीर है।
लैंगिक असमानता के लिए उत्तरदायी महत्त्वपूर्ण कारक निम्नांकित हैं—
1. महिलाओं में शिक्षा का अभाव है। शिक्षा के अभाव के कारण ही महिलाओं के बीच अंधविश्वास अधिक है। महिलाएँ शिक्षा के क्षेत्र में पुरुषों से पीछे हैं। 2011 की जनगणना के अनुसार, जहाँ 80.9 प्रतिशत पुरुष शिक्षित है, वहीं शिक्षित महिलाओं का प्रतिशत 64.6 है।
2. पर्दाप्रथा भी लैंगिक असमानता का बहुत बड़ा कारक है।
3. भारत में प्रचलित सतीप्रथा एवं बालविवाह की प्रथा भी लैंगिक असमानता के लिए बहुत हद तक उत्तरदायी हैं।
4. दहेज की प्रथा भी लैंगिक असमानता का एक महत्त्वपूर्ण कारक है।
5. जनसंख्या की दृष्टि से भी लैंगिक असमानता बनी हुई है। पुरुषों की तुलना में स्त्रियों की संख्या कम है। 1901 में भारत में एक हजार पुरुष पर 972 महिलाएँ थीं, वहीं 2011 की जनगणना के समय एक हजार पुरुष पर महिलाओं की संख्या 943 रह गई है। केरल और पुदुचेरी छोड़कर अन्य राज्यों में लगभग यही स्थिति बनी हुई है।
6. पुरुष-प्रधान समाज, कन्या-भ्रूणहत्या, उच्च मातृ-मृत्यु दर, कन्या-शिशु की उपेक्षा, पुरुष-शिशु के लिए प्राथमिकता, स्त्री-प्रताड़ना आदि भी लैंगिक असमानता के मुख्य कारक हैं।