भारत में संघात्मक शासन (Federal Government) को मूर्तरूप देने के लिए केंद्र और राज्यों के बीच शक्तियों का विभाजन कर दिया गया है।
इस उद्देश्य से तीन सूचियाँ बनाई गई हैं— संघ सूची, राज्य सूची एवं समवर्ती सूची। संघ सूची में 97 विषय हैं। जिनपर कानून बनाने का अधिकार संसद को है।
विदेशी मामले और प्रतिरक्षा संघ सूची के दो महत्त्वपूर्ण विषय हैं। राष्ट्रीय महत्त्व के विषयों को संघ सूची में रखा गया है।
राज्य सूची के विषयों की संख्या 66 है। इन विषयों पर कानून बनाने का अधिकार राज्य की विधायिका को दिया गया है।
पुलिस और वाणिज्य राज्य सूची के दो महत्त्वपूर्ण विषय हैं। समवर्ती सूची के विषयों की संख्या 47 है।
समवर्ती सूची पर संसद और राज्य की विधायिका दोनों को कानून बनाने का अधिकार है। परंतु, यदि एक ही विषय पर दोनों कानून बना दें, तो संसद द्वारा बने कानून को ही मान्यता दी जाती है।
शिक्षा और वन समवर्ती सूची के विषय हैं। इस प्रकार, तीन सूचियाँ बनाकर सत्ता का विकेंद्रीकरण किया गया है। केंद्र एवं राज्य दोनों में से किसी को भी इन सूचियों में परिवर्तन करने तथा दूसरे के अधिकार-क्षेत्र का अतिक्रमण करने का अधिकार नहीं है।
सत्ता के बँटवारे के इस प्रावधान में भी केंद्र अधिक लाभदायक स्थिति में है।
संसद (Parliament) को निम्नलिखित परिस्थितियों में राज्य सूची के विषयों पर भी कानून बनाने का अधिकार प्राप्त हो जाता है—
- यदि राज्यसभा दो-तिहाई बहुमत से यह प्रस्ताव पास कर दे कि राज्य सूची का अमुक विषय राष्ट्रीय महत्त्व का है।
- यदि संकटकाल की घोषणा हो जाए।
- यदि दो या दो से अधिक राज्य इसके लिए प्रार्थना करें।