लोकतंत्र (Democracy) में जनसंघर्ष की निम्नलिखित उपयोगिताएँ हैं—
1. जनसंघर्ष लोकतंत्र की स्थापना के साथ-साथ उसकी पुनर्स्थापना में भी सहायक सिद्ध होता है। सत्ता पक्ष और सत्ता में साझेदारी के लिए प्रयासरत लोगों के बीच प्रतिस्पर्धा चलती रहती है। जनसंघर्ष के द्वारा लोकतंत्र में साझेदारी चाहनेवालों को सफलता भी मिल जाती है।
2. कुछ गिने-चुने सक्रिय लोगों या दलों की लामबंदी तथा उनके संगठित होने पर भी जनसंघर्षों को सफलता मिल जाती है।
3. जनसंघर्ष होने की स्थिति में अनेक संगठनों एवं राजनीतिक दलों की सक्रियता निश्चित रूप से बढ़ जाती है। विभिन्न हित-समूह एवं दबाव-समूह संयुक्त रूप से जनसंघर्ष को सफल बनाने में कारगर भूमिका अदा करते हैं।
लोकतंत्र में जनसंघर्ष की उपयोगिता तब और बढ़ जाती है जब इसमें राजनीतिक दल एवं दबाव-समूह की सहभागिता बढ़ जाती है।
उदाहरण के लिए, नेपाल (Nepal) में लोकतंत्र की वापसी के लिए किए गए जनसंघर्ष में सात राजनीतिक दलों ने सक्रिय भूमिका निभाई जिसे नेपाल के अनेक दबाव-समूहों का समर्थन मिला।
म्यांमार में लोकतंत्र की वापसी के लिए चलाए गए व्यापक जनसंघर्ष में दबाव-समूहों की महत्त्वपूर्ण भूमिका रही।
चिली में लोकतंत्र की वापसी के संघर्ष में राजनीतिक दल और दबाव-समूहों ने महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
सन् 1974 ई० में भारत में जो जनसंघर्ष हुआ, उसमें भी विभिन्न राजनीतिक दलों के साथ-साथ दबाव-समूहों की भी सक्रियता थी।
अतः स्पष्ट है, कि लोकतंत्र में जनसंघर्ष की उपयोगिता को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।