ऊर्जा (Energy) ना तो उत्पन्न की जा सकती है; और ना ही नष्ट की जा सकती है। ऊर्जा केवल एक रूप से दूसरे रूप में परिवर्तित की जा सकती है।
जब भी ऊर्जा किसी रूप में लुप्त होती है, तब ठीक उतनी ही ऊर्जा अन्य रूपों में प्रकट होती है।
अतः विश्व की संपूर्ण ऊर्जा का परिमाण स्थिर रहता है। यह ऊर्जा-संरक्षण का नियम (Law of Conservation of Energy) कहलाता है।