इल्तुतमिश की मृत्यु (Death) के बाद रुकनुद्दीन फिरोजशाह अपनी मां शाह तुर्कान के सहयोग से गद्दी पर बैठा। शाह तुर्कान के अत्याचारों से परेशान होकर जन समूह द्वारा उसे अपदस्थ किया गया और रजिया को सुल्तान बनाया गया।
दिल्ली सल्तनत के इतिहास में रजिया एकमात्र महिला शासिका बनी। वह प्रथम तुर्क महिला शासिका भी थी।
रजिया ने पर्दा त्याग कर पुरुषों की भर्ती कोट व कुलाह (टोपी) पहनना शुरू कर दिया। रजिया ने एतगीन को बदायूं का इक्तादार एवं अल्तूनिया को तवरहिंद (भटिंडा) का इक्तादार नियुक्त किया।
अल्तूनिया ने 1240 ईस्वी में सरहिंद में विद्रोह कर दिया। अंततः रजिया ने अल्तूनिया से शादी कर ली। 13 अक्टूबर 1240 ईसवी को मार्ग में कैथल के निकट कुछ डाकुओं ने रजिया व अल्तूनिया की हत्या कर दी।
रजिया की असफलता का मुख्य कारण तुर्की गुलामों की महत्वकांक्षी आएं थी।