नसीरुद्दीन महमूद 10 जून 1246 ईस्वी को 16 वर्ष की अवस्था में सिंहासन पर बैठा। उसके सुल्तान बनने के समय राज्य शक्ति के लिए जो संघर्ष सुल्तान और उसके तुर्की सरदारों के मध्य चल रहा था। वह समाप्त हो गया।
नसीरुद्दीन के शासनकाल में समस्त शक्ति बलवान के हाथों में थी। 1249 ईस्वी में उसने बलबन को उलुग खां की उपाधि प्रदान की और नायब-ए-मामलिकात का पद देकर कानूनी रूप से शासन के संपूर्ण अधिकार बलवन को सौंप दी।
1266 ईस्वी में नसीरुद्दीन की मृत्यु होने पर बलवान ने स्वयं को सुल्तान घोषित किया तथा उनका उत्तराधिकारी बना।