गयासुद्दीन बलबन के बारे में लिखें। Gayasuddin Balwan ke Bare Mein Likhen?
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गयासुद्दीन बलबन के बारे में लिखें। Or,  Gayasuddin Balwan ke Bare Mein Likhen?

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बलवन इल्तुतमिश की भांति इल्बरी तुर्क था। उसने 20 वर्ष तक वजीर की हैसियत से तथा 22 वर्ष तक सुल्तान के रूप में शासन किया।

 रजिया के समय बलवन अमीर-ए-शिकार के पद पर था। वह बहरामशाह के समय वह अमीर-ए-आखुर का प्रधान बना। बलवन ने राजत्व सिद्धांत और सुल्तान की प्रतिष्ठा की स्थापना की। बलबन के राजत्व सिद्धांत की दो मुख्य विशेषताएं थी - प्रथम सुल्तान का पद ईश्वर के द्वारा प्रदान किया हुआ होता है, और द्वितीय सुल्तान का निरंकुश होना आवश्यक है। बलवन ने 40 तुर्क सरदारों के गुट की समाप्ति की।

 बलवन ने कई ईरानी परंपराएं जैसे सिजदा (भूमि पर लेट कर अभिवादन) एवं पैबोस (सुल्तान के चरणों को चूमना) प्रारंभ करवाई।

 बलवान ने रक्त और लौह की नीति का पालन किया। उसने ईरानी त्यौहार नौरोज भी आरंभ किया।

 वह स्वयं को फिरदौस के शाहनामा में वर्णित अफरासियाब वंश का बताता था। बलवन एक पृथक सैन्य विभाग दीवान-ए-अर्ज की स्थापना की। बलवन ने जिल्ल-ए-इलाही (ईश्वर का प्रतिबिंब) की उपाधि धारण की थी।

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