गयासुद्दीन तुगलक ने तुगलक वंश की स्थापना की थी। तूगलक किसी वंश का नाम नहीं था। गयासुद्दीन का नाम गाजी तुगलक अथवा गाजी बैग तुगलक था। इस कारण उसके उत्तराधिकारीयों को भी तुगलक पुकारा जाने लगा।
गयासुद्दीन ने उदारता की नीति अपनाई जिसे बर्नी ने रस्मोनियम अथवा मध्यम पंथी नीति कहा था।
उसने सिंचाई व्यवस्था दुरुस्त करवाएं और नहरों का निर्माण करवाया। इससे किसानों और राज्य की आर्थिक नीति में सुधार हुआ। उसकी डाक व्यवस्था श्रेष्ठ थी। उसने न्याय व्यवस्था में सुधार किए।
उसने तुगलकाबाद नामक शहर की स्थापना की थी। गयासुद्दीन ने सरकारी कर्मचारियों को राजस्व वसूली में हिस्सा ना देकर उन्हें कर मुक्त जागीरें दी।
चिश्ती संत निजामुद्दीन औलिया के साथ उसके संबंध कटुतापूर्ण थे। जब गयासुद्दीन बंगाल अभियान से लौट रहा था, तो उसने दिल्ली आने से पहले ही ओलिया को दिल्ली छोड़कर चले जाने को कहा। यह सुनकर निजामुद्दीन औलिया ने कहा था- हनूज-ए-दिल्ली दूरस्थ (अर्थात दिल्ली अभी दूर है)।
गयासुद्दीन जब अब अफगानपुर नामक गांव में विश्राम कर रहा था, तो लकड़ी के महल की छत गिर जाने से उसकी मृत्यु हो गई।
इब्नबतूता के अनुसार गयासुद्दीन तुगलक की मृत्यु का कारण मोहम्मद बिन तुगलक का षड्यंत्र था। उसे उसके द्वारा तुगलकाबाद में बनवाए गए कब्र में दफनाया गया ।