शराबबंदी पर निबंध लिखें। Sharab Bandi Par Nibandh Likhen.
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शराबबंदी पर निबंध। Sharab Bandi Par Nibandh

1 अप्रैल, 2016 से बिहार सरकार (Government of Bihar) द्वारा लागू किया गया शराबबंदी कानून (Liquor Prohibition Law) एक ऐतिहासिक कदम है। बिहार सरकार के मुखिया माननीय मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार जी का यह फैसला अत्यंत प्रशंसनीय है।

मुख्यमंत्री (Chief Minister) के इस निर्णय से प्रदेश की महिलाएँ, वृद्ध, बच्चे, सुशिक्षित एवं सभ्य लोगों को नशाखोरी से बड़ी राहत प्राप्त हुई है।

नशा व्यक्ति को अपराध (Crime) एवं दमित यौन इच्छाओं के लिए प्रेरित करता है। शराब के लत से व्यक्ति का जीवन बर्बाद हो रहा था।

शराबबंदी एक साहसिक कदम है। जब से बिहार में शराबबंदी लागू हुआ है, तब से निश्चय ही सड़क दुर्घटनाएँ (Road Accident), घरेलू हिंसा, यौन अपराध, सामाजिक हिंसा, जातीय तनाव, साम्प्रदायिक दंगे कम हुए हैं।

बिहार सरकार ने शराबबंदी को जिस कठोरता से लागू किया है, वह अत्यन्त सराहनीय है।

शराब का सेवन नेता, मंत्री, पदाधिकारी, पुलिस इत्यादि सभी वर्ग के लोग करते थे। मदिरापन करने वालों का तर्क है, कि शराबबंदी व्यक्ति के खाने पीने के मूल अधिकार (Fundamental Right) का हनन है।

शराबबंदी कानून के अन्तर्गत किसी भी व्यक्ति को झूठे मुकदमें में फसाया जा सकता है। शराबबंदी से सरकारी राजस्व की बड़ी हानि है। शराब के साथ ताड़ी पर प्रतिबंध उचित नहीं है।

ताड़ी गाँव के श्रमजीवी वर्ग (Working Class) का पेय पदार्थ है। पान-मशाला, खैनी, तम्बाकू इत्यादि नशा सामग्री पर प्रतिबंध नशाखोरों को असह्य हो रहा है।

नशाखोरों को नशाबंदी असह्यय तो लगेगा ही, लेकिन यह उनके लिए कड़वी दवा की तरह है, जो उनके कुसंस्कारों, कुप्रवृत्तियों से मुक्ति के लिए जरूरी है।

शराबबंदी से सबसे अधिक आहत दलित वर्ग के लोग हो रहे हैं, लेकिन सबसे अधिक लाभ इन्हें ही होगा।

शराबबंदी से सरकारी राजस्व का घाटा तो हुआ है, लेकिन इससे पारिवारिक अपव्यय रूका है।

गरीब लोग (Poor People) जिस पैसे को शराब में उड़ा जाते थे, उन्हें वे अब अपने बच्चों के वस्त्र, आहार एवं शिक्षा पर खर्च करेंगे।

नशाबंदी से लोगों में नया संस्कार जन्म लेगा। लोगों में विवेक, सुविचार जन्म लेगा। सामाजिक सद्भाव का एक नया वातावरण तैयार होगा। सुसभ्य और सुसंस्कृत बिहार का निर्माण होगा।

इस्लाम में शराब हराम है। हिन्दू धर्म शास्त्रों में भी मदिरापन वर्जित और प्रतिबंधित है। बौद्ध और जैन-धर्म में हिंसा और नशा पूर्णतः वर्जित है।

पूर्व के राज्य सरकारों एवं शराब व्यावसायियों (Liquor Dealer) ने अतिशय धन कमाने की लालच में शराब उत्पादन और बिक्री को व्यापक उद्योग बना दिया था। भारत के अन्य राज्यों में भी शराबबंदी की आवश्यकता है। भारत नशामुक्त देश बने तो यह बहुत बड़ी उपलब्धि होगी।

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नशा करना नाशक है। नशा सेवन से शारीरिक, मानसिक और आर्थिक स्थिति कुप्रभावित हो जाता है। आदमी रोगी होकर मृत्यु को प्राप्त कर जाता है।

संकट उत्पन्न करने वाला नशीली वस्तु का सेवन कराई पूर्वक बंद करना अनिवार्य है। इसके लिए सामाजिक तौर पर एवं सरकारी नियमों के द्वारा भी नशाबन्दी को प्राथमिकता देना होगा।

क्या घातक है, नशा?

नशा करना घातक है, क्योंकि नशा करने से मनुष्य का हरेक अंग शिथिल पड़ जाता है। अनेक रोगों का शिकार हो जाता है। यहाँ तक कि जहरीली शराब के पीने से लोग खूब मर रहे हैं। नशा करने वाले लोगों को आर्थिक तंगी में आकर अपना इलाज तक नहीं करवा पाते हैं। नशेरी लोग अपने बच्चों को देख-रेख, भरण-पोषण भी सही ढंग से नहीं कर पाते हैं।

परिणामस्वरूप बच्चे भी कुपोषण का शिकार होकर बीमार होकर अकाल मृत्यु को प्राप्त करते हैं।

प्राय: वाहन दुर्घटना का 90% कारण नशा-सेवन ही है। नशा में धुत लोग किसी को मार भी देते हैं, तथा किसी से मारे भी जाते हैं। अतः नशा घातक है। नशा सेवन से दूर होना ही कल्याणकारी है।

नशा कम करने की कोशिश।

नशा करना ही गन्दी बात है। यदि नशा की लत लग गयी है, तो नशा सेवन कम करने का उपाय करना होगा।

इसके लिए हमें संकल्प लेना होगा कि महाघातक नशीली वस्तु का सेवन धीरे-धीरे कम करें। अन्ततः स्वयं नशा करना बंद हो जायेगा।

कोशिश से सब कुछ होता है। व्यक्तिगत कोशिश, सामाजिक कोशिश के साथ सरकार को भी नशा कम करवाने का उपाय करना होगा। अगर सरकार नशीली वस्तुओं के निर्माण पर रोक लगा दें। उसके निर्यात-आयात पर रोक लगा दे तो नशा से मुक्ति मिल सकता है।

निष्कर्ष

नशा सेवन जानलेवा है। नशा-सेवन से आर्थिक रूप से व्यक्ति कमजोर हो जाता है। शारीरिक कमजोरी के कारण किसी काम लायक नहीं रह जाता।

अतः नशा बंदी को सरकार विशेष कानून बनाकर नशा सेवन में कमी ला सकता है। सामाजिक तौर पर भी नशेरी लोगों का बहिष्कार होना चाहिए।

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