जब चुनाव में किसी एक राजनीतिक दल (Rajneetik Dal) के बहुमत में आने की संभावना नहीं दिखाई देती है तो दो या दो से अधिक विभिन्न सिद्धांतों में विश्वास रखनेवाले राजनीतिक दल गठबंधन बनाकर चुनाव लड़ने का निर्णय लेते हैं, तो उसे राजनीतिक दलों का गठबंधन कहा जाता है।
उदाहरण के लिए, नवंबर 2010 में बिहार विधानसभा के चुनाव में जनता दल (यू) और भारतीय जनता पार्टी का गठबंधन चुनाव में सम्मिलित हुआ।
कभी-कभी चुनाव में किसी एक दल के बहुमत नहीं आने पर सरकार के गठन के उद्देश्य से कुछ राजनीतिक दल आपसी गठबंधन करके सरकार चलाने क निर्णय लेते हैं। इसे गठबंधन की राजनीति कहते हैं।
भारत में गठबंधन की राजनीति अब समय की माँग बन गई है। अब कभी-कभी केंद्र में तथा कुछ राज्यों में कोई राजनीतिक दल अकेले सरकार बनाने की स्थिति में नहीं दिखाई देता है।
सन् 1977 ई० के चुनावों के बाद से ही भारतीय राजनीति में एक राजनीतिक दल के वर्चस्व का दौर समाप्त हो गया है।
सन् 1991 ई० में नरसिम्हा राव के. नेतृत्व में काँग्रेस की सरकार अवश्य बनी। परंतु, उसे कामचलाऊ बहुमत प्राप्त था।
इसी कारण सांसदों की खरीद-फरोख्त सबसे अधिक नरसिम्हा राव के शासनकाल में ही हुई। राजनीतिक दलों के गठबंधन का प्रचलन केंद्र के साथ-साथ राज्यों में भी फैल चुका है।
राज्यों में भी एक राजनीतिक दल की सरकारों की संख्या घटती जा रही है। इस प्रकार, राजनीतिक दलों (Political Party) के गठबंधन की सरकार आज के समय की माँग है।