राष्ट्रीय एकता पर निबंध लिखें। Rashtriya Ekta Par Nibandh Likhen
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राष्ट्रीय एकता पर निबंध लिखें। Rashtriya Ekta Par Nibandh Likhen. Or, Write Essay on National Integration in Hindi.

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राष्ट्रीय एकता पर निबंध। Rashtriya Ekta Par Nibandh

पारिवारिक जीवन की तरह सामाजिक तथा राष्ट्रीय जीवन में भी एकता का महत्त्वपूर्ण स्थान है। वहाँ भी यह सिद्धान्त दृढ़तापूर्वक कार्यशील रहता है, कि

United We Have, Separated We Die.

जिस तरह वियुक्त परिवार विच्छिन्न हो जाता है, उसी तरह विखण्डित राष्ट्र भी क्षीण हो जाती है। तथापि आए दिन हमारे राष्ट्रीय जीवन में यह विषाक्त कीटाणु प्रविष्ट होकर राष्ट्रीय एकता को कुतर डालने को प्रस्तुत है।

जब तक राष्ट्रीय जीवन को अक्षुण्ण बनाए रखने के लिए हमारी राष्ट्रीय एकता सुदृढ़ थी, हम विश्व के सिरमौर कहलाते थे।

उस राष्ट्रीय एकता (National Integration) के विच्छिन्न होते ही हमें परतंत्रता का शिकार होना पड़ा। एक के बाद दूसरी विदेशी जातियाँ आती गई और हमें पदाक्रान्त एवं पददलित करती गई।

हम कई शताब्दियों (Centuries) तक पिसते रहे, लुटते रहे। हमने असंख्य कुर्बानियों एवं बलिदानों (Sacrifices) के फलस्वरूप अपनी जिस खोई हुई आजादी (Independence) का हासिल की है, उसे सुरक्षित एवं सुदृढ़ रखना परमावश्यक है।

आज कुछ बाह्य अथवा आन्तरिक दुष्प्रभावों के परिणामस्वरूप हमारी राष्ट्रीय एकता पर कुठराघात हो रहा है: कुछ लोग उसे विखंडित करने का प्रबल प्रयास कर रहे हैं।

प्रांतीयता की संकीर्ण भावना, भाषागत संकीर्णता तथा स्वार्थपूर्ण व्यक्तिगत संकीर्णता राष्ट्रीय एकता (Rashtriya Ekta) के विरोधी तत्त्व हैं।

राष्ट्र के नागरिकों में सम्पूर्ण राष्ट्र (Whole Nation) को एक मानने को व्यापाक भाव क्षीण होता जा रहा है। हम अपने को भारतीय राष्ट्र का नागरिक (Citizen of Indian Nation) मानने की अपेक्षा बिहारी, बंगाली, मद्रासी, पंजाबी अधिक मानते हैं।

यह संकीर्णता बढ़ते-बढ़ते आज उस पराकाष्ठा पर पहुँच गई है, कि कई राज्यों में तो एक स्वतंत्र राष्ट्र की स्थापना का प्रबल आन्दोलन (Movement) ही चला रहा है।

भाषा (Language) के सम्बन्ध में भी लोगों की धारणा संकीर्णता की पराकाष्ठा पर पहुँच गई है। दक्षिण भारत (South India) के लोग हिन्दी के इतने विरोधी हैं, कि वे राष्ट्रीय गीत (National Anthem) इसलिए नहीं गाते हैं, कि वह हिन्दी में है।

इस प्रकार भाषागत उन्मादगी हमारी राष्ट्रीय एकता को विखण्डित करने का प्रधान कारण है। इसके अतिरिक्त हमारी व्यक्तिगत संकीर्णता तथा राष्ट्रप्रेम की भावना का अभाव भी बहुत महत्त्वपूर्ण कारण है।

हम दिनों-दिन स्वार्थान्ध होते जा रहे हैं। स्वार्थ के संकुचित दायरे में हम व्यक्तिगत लाभ-हानि, मान-अपमान आदि की ही बातें सोचते हैं, चाहे उससे देश या राष्ट्र जहन्नुम में क्यों न चला जाय।

राष्ट्रीय आन्दोलन के अग्रदूतों में जो सम्पूर्ण भारत को एक मानने का भाव था; वह अब लुप्त-सा हो चला है।

इसके अतिरिक्त संकीर्ण धार्मिक भावना या विदेशी कूटनीतिज्ञों के गुप्त प्रभावों के कारण भी हमारी राष्ट्रीय एकता विखण्डित अवस्था की ओर बढ़ रही है।

किसी राष्ट्र के सर्वांगीण विकास के लिए उसकी सार्वभौमिकता एंव अखंडता अनिवार्य है। जिन तुच्छ संकीर्णताओं से प्रेरित होकर लोग राष्ट्रीय एकता पर कुठाराघात करना चाहते हैं, वे तो तभी तक अपना अस्तित्व कायम रख सकते हैं, जब तक राष्ट्रीय एकता बनी हुई है।

उसके विच्छिन्न हो जाने से धर्म, भाषा व्यक्तिगत स्वार्थ आदि खतरे में पड़ जाएँगे।

भारत एक विशाल राष्ट्र है। यहाँ सभी धर्मों के मतावलम्बी निवास करते हैं। इसलिए संविधान के अनुसार इसे धर्म-निरपेक्ष राज्य (Secular State)घोषित किया गया है।

अत: प्रत्येक भारतीय नागरिक का यह कर्त्तव्य है, कि वह अपने-आप को प्रान्तीय या राज्य की संकीर्ण भावना से ऊपर उठकर भारतीय राष्ट्रीय का नागरिक माने।

व्यक्तिगत लाभ-हानि की अपेक्षा राष्ट्रीय हित को प्रधान मानना चाहिए। अतः राष्ट्र के उज्ज्वल भविष्य के लिए राष्ट्रीय एकता एवं अखण्डता अनिर्वाय है।

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राष्ट्रीय एकता पर निबंध। Rashtriya Ekta Par Nibandh

भारत विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्रात्मक गणराज्य (Democratic Republic) है। इसका भौगोलिक क्षेत्र विशाल एवं विस्तीर्ण है। जलवायु, खान-पान, रहन-सहन, वेश-भूषा, बात-व्यवहार की जितनी विविधता भारत में है, उतनी अन्यत्र दुर्लभ है।

यहाँ अनेक भाषाएँ बोली जाती हैं। उत्तर भारत में आर्य भाषाएँ बोली जाती हैं, तो दक्षिण भारत में द्रविड़ भाषाएँ।

इन दोनों प्रकार की भाषाओं में इतना अंतर है, कि हिंदी-भाषी तेलुगु, तमिल, कन्नड़ और मलयालम भाषा को नहीं समझ पाते और दक्षिण भाषा-भाषी छत्तीसगढ़ी, अवधी, गढ़वाली, ब्रजभाषा आदि हिंदी की उपभाषाएँ नहीं समझ पाते।

महाराष्ट्र में मराठी, बंगाल में बँगला तथा असम में असमिया भाषा बोली जाती है। यहाँ अनेक बोलियाँ और उपबोलियाँ बोली जाती हैं। विभिन्न बोलियों और उपबोलियों की लोकनाट्य कृतियाँ और लोकगीत अलग-अलग हैं। विभिन्न क्षेत्रों में लोकनृत्यों की छटा भी अलग-अलग है।

संविधान में स्थिति। Position in the Constitution

भारत राज्यों का संघ है। यहाँ संसदीय प्रणाली की सरकार है। संविधान में भारत को धर्मनिरपेक्ष लोकतांत्रिक गणराज्य कहा गया है, जो भारतीय एकता का मूल आधार है। संविधान में संपूर्ण भारत के लिए एकसमान नागरिकता की व्यवस्था की गई है। 

संविधान के भाग चार के अनुच्छेद-51 'क' में नागरिकों के कर्तव्य के संबंध में कहा गया है, कि इन्हें धर्म, भाषा और क्षेत्रीय तथा वर्ग-संबंधी भिन्नताओं को भुलाकर सद्भाव और भ्रातृत्व की भावना को प्रोत्साहन देना चाहिए।

जातिवाद प्रभाव। Casteism Effect

धर्म, भाषा, क्षेत्र आदि की संकीर्णता की तरह ही जातिवादी संकीर्णता ने भी भारतीय एकता (Indian Unity) को बुरी तरह प्रभावित किया है। भारतीय नागरिकों का यह कर्तव्य बनता है, कि ये ऊपरकथित संकीर्णताओं को भूलकर देश की एकता एवं अखंडता को मजबूत करने का प्रयास करे। इसी से देश समृद्ध और विकसित हो सकेगा।

उपसंहार

देश के प्रत्येक नागरिक को देशहित में सोचना चाहिए। देश के आगे धर्म, संप्रदाय, जाति, भाषा और क्षेत्र विशेष का महत्त्व नहीं होता। प्रत्येक नागरिक का यह कर्तव्य है, कि वह अलगाववादी तत्त्वों के प्रति सावधान रहे और देश की एकता और अखंडता (Unity and Integrity of the Country) के लिए अपने प्राण उत्सर्ग करने को तत्पर हो।

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