विजयनगर साम्राज्य के 'वित्तीय व्यवस्था' की मुख्य विशेषता भू-राजस्व (Land Revenue) थी ।
विजयनगर राज्य को विभिन्न स्रोतों से आय प्राप्त होती थी, यथा
- भू-राजस्व,
- संपत्ति कर,
- व्यापारिक कर,
- व्यावसायिक कर,
- उद्योगों पर लगाए जाने वाले कर,
सामाजिक और सामुदायिक कर तथा अपराधों के लिए आरोपित अर्थदंड। भूमि का भली-भांति सर्वेक्षण किया जाता था और उपज का 1/6 भाग भूमि कर के रूप में वसूल किया जाता था। 'शिष्ट' (भूमि कर) नामक कर राज्य की आय का प्रमुख स्रोत था। केंद्रीय राजस्व विभाग को 'अठावने' (अस्थवन या अथवन) कहा जाता था।