भारत में 1612 ई. में अग्रेजों ने अपनी पहली फैक्ट्री सूरत (Surat) में स्थापित की थी ।
कैप्टन विलियम हॉकिंस सूरत से मुगल दरबार (1608 ई.) पहुंचा, किंतु सूरत में फैक्ट्री की स्थापना की अनुमति पाने में सफल नहीं हो सका।
1611 ई. में पुर्तगालियों के विरोध के बावजूद कैप्टन मिडल्टन सूरत के समीप स्वाल्ली पहुंचा और मुगल गवर्नर से वहां व्यापार करने की अनुमति पाने में सफल हो गया।
कैप्टन बेस्ट द्वारा सूरत के बंदरगाह की विजय ने पूर्तगाली एकाधिकार की निरंतरता को भंग किया।
इसके बाद जहांगीर के शाही फरमान से अंग्रेजों ने सूरत में स्थायी रूप से एक फैक्ट्री से में स्थापित की। यहां से अंग्रेजों ने अपने व्यापार को देश के दूसरे भागों में फैलाया तथा शीघ्र ही अहमदाबाद, बुरहानपुर, अजमेर तथा आगरा में सहयोगी फैक्टरियां स्थापित की।