अटॉर्नी जनरल (महान्यायवादी) संसद के किसी भी सदन की कार्यवाही में सहभागी हो सकता है।
संविधान के अनुच्छेद-76 में भारत के महान्यायवादी पद की व्यवस्था की गई है।
महान्यायवादी देश का सर्वोच्च कानूनी अधिकारी होता है।
अनुच्छेद-88 के अनुसार महान्यायवादी को संसद के दोनों सदनों में बोलने, कार्यवाही में भाग लेने, सदनों की संयुक्त बैठक में भाग लेने का अधिकार है, लेकिन वे सदन में मतदान नहीं कर सकते हैं, क्योंकि वे संसद के सदस्य नहीं होते है ।
महान्यायवादी भारत सरकार से संबंधित मामले में सरकार की ओर से किसी भी न्यायालय में सरकार का कानूनी पक्ष रख सकता है ।
महान्यायवादी राष्ट्रपति के प्रसादपर्यंत अपने पद पर बने रहते हैं ।