चंद्रशेखर आजाद (Chandrashekhar Azad) काकोरी षड्यंत्र कांड में फाँसी की सजा से बच गये थे।
हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन के क्रांतिकारियों द्वारा 9 अगस्त, 1925 को काकोरी रेलवे स्टेशन के पास 8 डाउन ट्रेन को रोककर लूट-पाट की घटना को अंजाम दिया गया था। यही घटना काकोरी ट्रेन लूट कांड कहलाती है ।
उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा वर्ष 2021 में काकोरी कांड घटना को काकोरी ट्रेन कार्यवाही के रूप में पुनर्नामित किया गया है।
इस घटना के पश्चात् गिरफ्तार क्रांतिकारियों में अशफाक उल्ला खाँ, रामप्रसाद बिस्मिल, रोशन सिंह तथा राजेन्द्र लाहिड़ी को फाँसी दे दी गई थी।
चंद्रशेखर आजाद ने 27 फरवरी, 1931 को इलाहाबाद के अल्फ्रेड पार्क में पुलिस से मुठभेड़ करते हुए अन्तिम गोली स्वयं को मार ली।
चन्द्रशेखर आजाद ने प्रण किया था कि अंग्रेज मुझे कभी भी जीवित बन्दी नहीं बना सकते हैं।
चन्द्रशेखर आजाद पं० हरिशंकर ब्रह्मचारी नाम से बच्चों का अध्यापन कार्य भी करते थे।
हिन्दुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन की स्थापना 1924 में कानपुर में सचीन्द्रनाथ शान्याल द्वारा की गई थी।