सम्राट शाहआलम द्वितीय (Shah Alam Second) ने 12 अगस्त, 1765 ईस्ट इंडिया कंपनी को बिहार तथा उड़ीसा की दीवानी प्रदान की ।
इलाहाबाद की दूसरी संधि (अगस्त, 1765) के अनुसार, शाहआलम को अंग्रेजी संरक्षण में ले लिया गया तथा उसे इलाहाबाद में रखा गया। इलाहाबाद तथा कड़ा के जो क्षेत्र नवाब ने छोड़ दिए थे, शाहआलम को मिले।
12 अगस्त, 1765 के अपने फरमान द्वारा मुगल बादशाह शाहआलम द्वितीय ने कंपनी को बंगाल, बिहार तथा उड़ीसा की दीवानी स्थायी रूप से दे दी, जिसके बदले कंपनी द्वारा सम्राट को 26 लाख रुपये दिया जाना था तथा निजामत व्यय के लिए कंपनी को 53 लाख रुपये देना था।
इस समय रॉबर्ट क्लाइव ईस्ट इंडिया कंपनी का बंगाल का गवर्नर था। शाहआलम द्वितीय का संपूर्ण जीवन आपदाओं से ग्रस्त रहा। उसे 1788 ई. में अंधा कर दिया गया।
शाहआलम द्वितीय के समय में 1803 ई. में दिल्ली पर अंग्रेजों का अधिकार हो गया। शाहआलम द्वितीय तथा उसके दो उत्तराधिकारी अकबर द्वितीय (1806-37 ई.) और बहादुरशाह द्वितीय (1837-57 ई.) ईस्ट इंडिया कंपनी के पेंशनभोगी मात्र बनकर रहे।