पागल पंथ एक अर्द्ध-धार्मिक संप्रदाय था, जिसे उत्तरी बंगाल के करमशाह (karam Shah) ने चलाया था।
करमशाह का पुत्र तथा उत्तराधिकारी टीपू, धार्मिक तथा राजनैतिक उद्देश्यों से प्रेरित था। उसने जमींदारों के द्वारा मुजारों (Tenants) पर किए गए अत्याचारों के विरुद्ध आंदोलन किया। 1825 ई. में टीपू ने शेरपुर पर अधिकार कर लिया तथा राजा बन बैठा।
वह इतना शक्तिशाली हो गया कि स्वतंत्र सत्ता का प्रयोग करने लगा और प्रशासन को चलाने के लिए उसने एक न्यायाधीश, एक मजिस्ट्रेट और एक कलेक्टर नियुक्त किया।