1875 के दक्कन विद्रोह के अनेक कारण थे, जैसे- महाजनों द्वारा ऊंची ब्याज दर और कृषकों का स्थाई रूप से कर्जदार होना ।
भूराजस्व की ऊंची ब्याज दर, कृषकों की अशिक्षा और गरीबी के कारण उनके खेत, घर आदि को गिरवी रखकर ऋण-पत्र पर उनसे हस्ताक्षर करवाना और न्याय व्यवस्था की जटिल एवं खर्चीली प्रणाली के कारण किसानों का अपने हितों की रक्षा करने में विफलता।
इसी परिस्थिति में 1875-76 के अकाल ने कृषकों की ऋण शोधन क्षमता को पूरी तरह खत्म कर दिया, दूसरी तरफ भूमि के मूल्यों में गिरावट के कारण साहूकार ऋणों की वसूली में शीघ्रता करने लगे। इस तरह महाजनों के द्वारा ऊंची ब्याज दर पर वसूली दक्कन विद्रोह का तात्कालिक कारण बन गईं।