प्रारंभिक क्रांतिकारियों में अग्रगण्य वासुदेव बलवन्त फड़के (Vasudev Balwant Fadke) (1845-83) ने बंबई प्रेसीडेंसी के रामोसी जनजाति के लोगों को संगठित करके प्रशिक्षित लड़ाकू बल में परिवर्तित किया।
इन्हें काला पानी की सजा दी गई तथा 1883 ई. में आमरण अनशन से इनकी मृत्यु हो गई।