पश्चिमी घाट (Western Ghat) में रहने वाले रामोसी जाति के लोगों ने 1822 ई. में अपने नेता सरदार चित्तुर सिंह (Chittod Singh) के नेतृत्व में रामोसी विद्रोह किया।
रामोसियों ने सतारा के आस-पास के क्षेत्रों को लूटा और किलों पर भी आक्रमण कर दिया।
1825-26 ई. में भयंकर अकाल और अन्नाभाव के कारण इन्होंने उमाजी के नेतृत्व में पुनः विद्रोह किया।