मुंडा विद्रोह (Munda Revolt) उलगुलान महान हलचल के नाम से जाना गया।
यह विद्रोह इस अवधि का सर्वाधिक प्रसिद्ध आदिवासी विद्रोह था। मुंडों की पारस्परिक भूमि व्यवस्था खूटकट्टी या मुंडारी का जमींदारी या व्यक्तिगत भूस्वामित्व वाली भूमि व्यवस्था में परिवर्तन के विरुद्ध मुंडा विद्रोह की शुरुआत हुई, लेकिन कालांतर में बिरसा ने इसे धार्मिक, राजनीतिक आंदोलन का रूप प्रदान किया।
मुंडा आदिवासियों का विद्रोह 1899-1900 ई. के बीच हुआ। 1895 ई. में बिरसा ने अपने आप को ‘भगवान का दूत' घोषित किया और हजारों मुंडाओं का नेता बन गया। उसने कहा कि “दिकुओं (गैर-आदिवासियों) से हमारी लड़ाई होगी और उनके खून से जमीन इस तरह लाल होगी जैसे लाल झंडा।"
1899 ई. में क्रिसमस की पूर्व संध्या पर बिरसा ने मुंडा जाति का शासन स्थापित करने के लिए विद्रोह का एलान किया। लगभग 6000 मुंडा तीर-तलवार तथा कुल्हाड़ी लेकर बिरसा के साथ हो लिए। लेकिन बिरसा मार्च, 1900 के शुरू में गिरफ्तार कर लिया गया और जून में वह जेल में मर गया। विद्रोह कुचल दिया गया ।