सत्यार्थ प्रकाश (Satyarth Prakash) स्वामी दयानन्द सरस्वती (Swami Dayanand Saraswati) रचना थी ।
मूलशंकर (स्वामी दयानन्द) का जन्म 1824 ई. में गुजरात की मौरवी रियासत के निवासी एक ब्राह्मण कुल में हुआ था।
उन्होंने 1860 ई. में मथुरा में स्वामी विरजानन्द जी से वेदों के शुद्ध अर्थ तथा वैदिक धर्म के प्रति अगाध श्रद्धा प्राप्त की।
1867 ई. में उन्होंने पाखंड खंडिनी पताका लहराई।
1875 ई. में उन्होंने बंबई में आर्य समाज की स्थापना की। उनके विचार उनकी प्रसिद्ध पुस्तक सत्यार्थ प्रकाश में वर्णित हैं।
अन्य रचनाएं— पाखंड खंडन, वेदभाष्य भूमिका, ऋग्वेद भाष्य, अद्वैत मंत्र का खंडन, पंच महायज्ञ विधि तथा वल्लभाचार्य मत खंडन प्रमुख हैं।