1873 ई. में सत्यशोधक समाज की स्थापना ज्योतिबा फूले (Jyotiba Phule) ने की थी।
इनका जन्म 1827 ई. में एक माली के घर हुआ था। इन्होंने शक्तिशाली गैर-ब्राह्मण आंदोलन का संचालन किया।
इन्होंने अपनी पुस्तक गुलामगीरी (1872) एवं अपने संगठन सत्य शोधक समाज के द्वारा पाखंडी ब्राह्मणों एवं उनके अवसरवादी धर्म ग्रंथों से निम्न जातियों की रक्षा की आवश्यकता पर बल दिया।