वॉरेन हेस्टिंग्स (Warren Hastings) के कार्यकाल में 1772 ई. में कोर्ट ऑफ डायरेक्टर्स ने दोहरी शासन प्रणाली को समाप्त करने का निर्णय लिया तथा कलकत्ता परिषद तथा उसके प्रधान को आज्ञा दी कि वे स्वयं दीवान बनें और बंगाल, बिहार तथा उड़ीसा के प्रबंध को अपने हाथ में ले लें।
वॉरेन हेस्टिंग्स ने दोनों उपदीवानों मुहम्मद रजा खां और राजा शिताब राय को पदच्युत कर दिया।
द्वैध शासन जिसकी शुरुआत बंगाल में 1765 ई. से मानी जाती है, के अंतर्गत कंपनी दीवानी अधिकार अपने पास रखती थी और निजामत के कार्यों का निष्पादन नवाब के माध्यम से करती थी, लेकिन वास्तविक शक्ति कंपनी के पास होती थी।
क्लाइव समझता था कि समस्त शक्ति कंपनी के पास है तथा नवाब के पास सत्ता की केवल छाया ही है। उसने प्रवर समिति को लिखा था यह नाम, यह छाया आवश्यक है तथा हमें इसको स्वीकार करना चाहिए।