उदारवादी राजनीति या राजनीतिक भिक्षावृत्ति के युग में अधिकांश नरमपंथी नेता यथा - दादाभाई नौरोजी, फीरोजशाह मेहता, दिनशा वाचा, व्योमेश बनर्जी और सुरेन्द्रनाथ बनर्जी जैसे नेता शहरी क्षेत्रों से संबद्ध थे (Associated With Urban Areas) ।
इस काल में कांग्रेस पर समृद्धशाली, मध्यवर्गीय बुद्धिजीवियों का जिनमें वकील, डॉक्टर, इंजीनियर, पत्रकार एवं साहित्यिक व्यक्ति सम्मिलित थे, का अधिकार था।
उपाधियां और बड़े-बड़े पद इन लोगों के लिए आकर्षण रखते थे। कांग्रेस में आने वाले ये प्रतिनिधि बड़े-बड़े नगरों से आते थे और जन साधारण से इनका कोई संपर्क नहीं था।
फिरोजशाह मेहता ने स्वयं कहा था - कांग्रेस की आवाज जनता की आवाज नहीं है, परंतु उनके साथ रहने वाले अन्य देशवासियों का यह कर्तव्य है कि वे इनकी भावनाओं को समझें और उन्हें व्यक्त करें और उनके उपचार का प्रयत्न करें।