भूकम्प का केन्द्र (Epicenter of the Earthquake) : भूकम्प के उद्भव स्थान को उसका केन्द्र कहते हैं।
भूकम्प के केन्द्र के निकट P, S तथा L तीनों प्रकार की तरंगें पहुंचती हैं। पृथ्वी के भीतरी भागों में ये तरंगें अपना मार्ग बदलकर भीतर की ओर अवतल मार्ग पर यात्रा करती हैं।
भूकम्प केन्द्र से धरातल के साथ 11,000 किमी की दूरी तक P तथा S-तरंगे पहुँचती है। केन्द्रीय भाग (Core) पर पहुँचने पर S-तरंगें लुप्त हो जाती हैं, और P-तरंगें अपवर्तित हो जाती हैं।
इस कारण भूकम्प के केन्द्र से 11,000 किमी के बाद लगभग 5,000 किमी तक कोई भी तरंग नहीं पहुंचती है। इस क्षेत्र को छाया क्षेत्र (Shadow Zone) कहा जाता है।