छाया का गठन (Formation of Shadow) प्रकाश का सीधा प्रसार (Direct Propagation of Light) द्वारा समझाया जा सकता है।
- समांग माध्यमों (घनत्व हर भाग में बराबर) में प्रकाश की किरणें सरल रेखाओं में चलती हैं। इसे प्रकाश का सरल रेखीय गमन (Rectilinear Propagation of Light) कहते हैं।
- प्रकाश के ऋजुरेखीय गमन या सरल रेखीय गमन के कारण ही विभिन्न प्रकार के छायाओं का बनना, सूर्य-ग्रहण, चंद्रग्रहण तथा सूची-छिद्र कैमरा में उल्टे चित्र का बनना आदि सम्भव हो पाते हैं।
- छाया एक प्रकार का प्रतिबिंब है।
प्रच्छाया (Umbra) : पूर्ण छाया प्रच्छाया (Umbra) कहलाती है। इससे प्रकाश का स्रोत दिखाई नहीं पड़ता है।
उपछाया (Penumbra) : आंशिक छाया को उपछाया (Penumbra) कहते हैं। इससे प्रकाश का स्रोत आंशिक रूप से दिखाई पड़ता है।
- परावर्तन में प्रकाश की किरणें एक समतल पृष्ठ पर तो किरण पृष्ठ से टकराकर वापस उसी माध्यम में जाती है।
प्रकाश का अपवर्तन (Refraction of Light) : प्रकाश की किरणें जब एक माध्यम से दूसरे माध्यम में प्रवेश करती है, तो वे अपने पथ से विचलित हो जाती है। इस घटना को प्रकाश का अपवर्तन कहते हैं।
तारों का टिमटिमाना, सूर्योदय तथा सूर्यास्त के समय सूर्य क्षितिज के समीप होना, नदी में मछली वास्तविक गहराई से ऊपर नजर आना आदि अपवर्तन के कारण होता है।
प्रकाश का पूर्ण आंतरिक परावर्तन (Total Reflection of Light) : जब प्रकाश की किरणें सघन माध्यम से विरल माध्यम में जाती है, तो आपतन कोण का मान क्रांतिक कोण से अधिक हो जाने के कारण किरणें सघन माध्यम में ही वापस आ जाती है, इस घटना को पूर्ण आंतरिक परावर्तन कहते हैं।
हीरा का चमकना, मृग मरीचिका का बनना, प्रकाश तंतु का कार्य करना पूर्ण आंतरिक परावर्तन के कारण होता है।